Monday, January 11, 2016

मैं रेत का ऐसा दरिया घुल न पाऊं, बिखर न पाऊं
मैं पानीमे तैरता ऐसा अक्स डूब न पांऊ, सूख न पाऊं
मैं फलक की वो आभा समेट न पाऊं, छुप न पाऊं
मैं वजूद का ऐसा हिस्सा, जुड ना पाऊं, टूट ना पाऊं

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