सुखेनैव तो रणांगणावर
अपुल्या आयुष्याची वणवण
सुरक्षीतशा भिंतींमागे
लिहीली जाते अवघी तणतण
डोक्याला तो झाला कायम
दिसली नाही कधीच कणकण
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जखम वाहिली इतकी भळभळ
केली गेली केवळ हळहळ
विस्फोटाच्या कवितेवरती
आधि वाहवा नंतर कळकळ
फांदीवरुनी गेले पिल्लू
पानांची थांबेना सळसळ
अपुल्या आयुष्याची वणवण
सुरक्षीतशा भिंतींमागे
लिहीली जाते अवघी तणतण
डोक्याला तो झाला कायम
दिसली नाही कधीच कणकण
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जखम वाहिली इतकी भळभळ
केली गेली केवळ हळहळ
विस्फोटाच्या कवितेवरती
आधि वाहवा नंतर कळकळ
फांदीवरुनी गेले पिल्लू
पानांची थांबेना सळसळ
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